Kedarnath ki yatra Khan se hoti haiPhoto from- ai copilot

केदारनाथ की यात्रा कहा से होती है :प्रारंभिक बिंदु और महत्वपूर्ण स्थल

भारत के उत्तराखंड राज्य में स्थित केदारनाथ धाम, हिन्दू धर्म के प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक है। यह भगवान शिव को समर्पित बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है और चार धाम यात्रा का हिस्सा भी है। केदारनाथ की यात्रा आध्यात्मिकता और प्रकृति प्रेमियों के लिए एक अद्वितीय अनुभव है। आइए जानते हैं कि इस यात्रा की शुरुआत कहां से होती है और रास्ते में कौन-कौन सी महत्वपूर्ण जगहें आती हैं।

केदारनाथ की यात्रा कहा से होती है
Photo credit:- From ai

यात्रा की शुरुआत

केदारनाथ की यात्रा आमतौर पर हरिद्वार या ऋषिकेश से शुरू होती है। ये दोनों स्थल भारत के प्रमुख धार्मिक और पर्यटन केंद्रों में से हैं और यहां से केदारनाथ के लिए विभिन्न प्रकार के परिवहन साधन उपलब्ध होते हैं।

1.हरिद्वार:

– हरिद्वार, गंगा नदी के तट पर स्थित एक प्रमुख तीर्थस्थान है। हर की पौड़ी पर गंगा आरती का दर्शन एक आध्यात्मिक अनुभव है। यहां से केदारनाथ के लिए बस और टैक्सी की सुविधा उपलब्ध होती है।

2. ऋषिकेश:

– ऋषिकेश, योग और ध्यान का वैश्विक केंद्र है। लक्ष्मण झूला और त्रिवेणी घाट यहां के प्रमुख आकर्षण हैं। यहां से भी केदारनाथ के लिए बस और टैक्सी आसानी से मिल जाती हैं।

प्रमुख स्थान और उनका महत्व

 

केदारनाथ की यात्रा के दौरान कई महत्वपूर्ण स्थान आते हैं, जिनका धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है।

1.देवप्रयाग:

– यह वह स्थान है जहां अलकनंदा और भागीरथी नदियाँ मिलकर गंगा का निर्माण करती हैं। देवप्रयाग का धार्मिक महत्व बहुत अधिक है और यह जगह तीर्थयात्रियों के लिए एक महत्वपूर्ण पड़ाव है।

2. रुद्रप्रयाग:

– रुद्रप्रयाग अलकनंदा और मंदाकिनी नदियों के संगम पर स्थित है। इसे भगवान शिव के एक रूप रुद्र के नाम पर जाना जाता है। यह स्थान धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है और यात्रा के दौरान आराम के लिए अच्छा स्थान है।

3.गौरीकुंड:

– गौरीकुंड केदारनाथ यात्रा का अंतिम मोटर योग्य स्थान है। यहां से पैदल यात्रा शुरू होती है। गौरीकुंड का नाम माता पार्वती के नाम पर रखा गया है और यहां एक गर्म पानी का कुंड है जिसमें स्नान करना पवित्र माना जाता है।

 

4.केदारनाथ:

केदारनाथ की चढ़ाई कितने घंटे की है?

– गौरीकुंड से लगभग 16 किलोमीटर की कठिन पैदल यात्रा के (तथा अगर आप ट्रैक करते हुऐ जाते हो तो आपको लगभग 18 घंटे का ट्रैक है अगर आपको चलने की आदत है तो आप जल्दी भी पहुंच सकते हो) बाद केदारनाथ धाम पहुँचते हैं। यहाँ का मंदिर अद्वितीय वास्तुकला का नमूना है और इसे पांडवों द्वारा बनवाया गया माना जाता है। मंदिर के पीछे बर्फ से ढके पहाड़ और मंदाकिनी नदी का दृश्य अद्वितीय है।

और आपदा के समय पहाड़ों से फिसल के आया एक चट्टान भी जिसे अब भीम शिला के नाम से पूजा जाता है। इसे भीम शिला इसलिए भी कहते हैं क्योंकि भीम ने शिव जी को यहां वचन दिया था की इस मंदिर की रक्षा में करूंगा। इस कारण से भी इसे भीम शिला माना जाता है।

यात्रा का महत्व

केदारनाथ की यात्रा न केवल धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि यह एक साहसिक यात्रा भी है। पहाड़ों की कठिनाइयाँ, नदियों की कल-कल ध्वनि और प्रकृति की सुंदरता यात्रियों को एक अद्वितीय अनुभव प्रदान करती है। यह यात्रा आत्मशुद्धि और आध्यात्मिक जागृति का मार्ग है।

समाप्ति में, केदारनाथ की यात्रा एक ऐसा अनुभव है जो जीवनभर स्मरणीय रहता है। यह न केवल भगवान शिव के प्रति भक्ति का प्रतीक है, बल्कि मानवता और प्रकृति के साथ हमारे संबंधों को भी प्रगाढ़ करता है। यदि आप कभी इस दिव्य यात्रा पर जाएं, तो इन महत्वपूर्ण स्थलों और उनके महत्व को जरूर अनुभव करें।

केदारनाथ कौन से महीने में जाना चाहिए?

केदारनाथ मंदिर अप्रैल के अंत या मई की शुरुआत से नवंबर की शुरुआत तक दर्शन के लिए खुला रहता है। यह लगभग छह महीने की होती है जब मंदिर तीर्थयात्रियों के लिए दर्शन के लिए खुला रहता है।

By fyi

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *